गोदी मीडिया द्वारा अब एक झूठ का बवंडर उठाया जा रहा है. मुट्ठी भर भर के रेत उड़ाया जा रहा है ताकि पहलवानों के मामले का सत्य जमीन की रेत में मिल जाए और उनका बाहुबली सांसद जेल जाने से बच जाए और आने वाले चुनावों में अपने क्षेत्र से वोट दिलाए. इस मामले में दिल्ली पुलिस की कार्रवाई पहले दिन से विवादास्पद रही है. जनवरी में उन्होंने FIR दर्ज करने से ही मना कर दिया. इसके बाद मननीय सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद रिपोर्ट दर्ज हुई. इसके बाद जांच के नाम पर न्याय के साथ ठगी हुई. महीनों तक दिल्ली पुलिस आरोपी को POSCO ऐक्ट से बचाती दिखी. POSCO और सैम्युअल harrasment केस में शिकायतकर्ता की पहचान गोपनीय रखी जाती है. लेकिन नाबालिग लड़की की पहचान सुनियोजित तरीके से उजागर कर दी गई. जरा सोचो एक लड़की की हालत. पूरा प्रशासन आरोपी को बचाने के लिए शिकायतकर्ता को ही आरोपी की तरह प्रस्तुत करने पर अमादा. ऊपर से समाज में तरह तरह की बातें. क्या दिल्ली पुलिस इसके लिए कौन जिम्मेदार है. तरह तरह के प्रलोभन, तरह तरह के दबाव और लास्ट में उसको बालिग सिद्ध करने की कोशिश. बहुत सारी अफवाहों का बवंडर की उस लड़की ने केस वापिस ले लिया. सत्ता से कौन लड़ सकता है? आज बजरंग पूनिया का ट्वीट आया है की मेडल को 15 रुपये का बताने वाले अब उनकी नौकरियों के पीछे पड़े हैं. क्या ये नौकरियां किसी की खैरात है? ये खून पसीने से अर्जित की गई हैं. अगर देश के सर्वोत्तम खिलाड़ियों के साथ ऐसा हो सकता है तो स्वाभाविक है आम आदमी को तो न्याय का सपना तक नहीं लेना चाहिए. न्याय मिलने में जितनी देरी होती है, झूठ की धूल बड़ी आसानी से सत्य को दबा कर उसका वध कर देती है. इस केस में भी ऐसा ही हो रहा है. मीडिया खामोश है. सिविल सोसाइटी दम दबा के देशद्रोही क़रार दिए जाने के डर से घर में दुबकी बैठी है. हर किस्म के अन्याय को देशभक्ति के आवरण से ढक दिया जाता है. प्रजा को धर्म का नशा करा के मदमस्त कर के छोड़ दिया जाता है. और न्याय के लिए महीनों से जो बेटियाँ संघर्ष कर रही थी उनको डरा धमका के पीछे हटने पर मजबूर कर दिया जाता है. मेरा एक सवाल उन महानुभावों से है जो इन आरोपों को झूठा मानते हैं. क्या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हमारा झंडा बुलंद करने वालीं हमारी बहन बेटियाँ ऐसा कदम उठाएंगी जिससे उनका पूरा करिअर खत्म हो जाए? क्यों वो इतने बड़े बाहुबली से सामना करके अपनी सालों की तपस्या को बर्बाद करेंगी? सत्य का तो सबको पता है लेकिन अब मुर्ख बनने की आदत सी हो गयी लगती है. मज़ा आता है अब मुर्ख बनने में. लेकिन दुख की बात है कि सत्य का एक बार फिर सत्ता ने दमन कर दिया. कम से कम में व्यक्तिगत तौर पर इस केस में जायदा आशा नहीं रखता. क्यूंकि सत्ता बहुत बलशाली है, खासकर शक्तिशाली नेतृत्व के नीचे. पुलिस का सारा फोकस किसी तरह POSCO ऐक्ट से बाहुबली को बचाने का है और मुझे विस्वास है वो इसमे सफल भी होंगे. रही बात दूसरे सैम्युअल harassment केस की तो उनकी समान्य धाराओं के तहत आरोपी को आराम से anticipatory bail मिल सकती है, वो भी जब अगर उसको गिरफतार करने की नौबत आती है तो. इसके अलावा जांच एजेंसी आरोपी को अरेस्ट ना करने का फैसला भी ले सकती हैं क्यूंकि non-posco सैम्युअल harassment केस जिसमें कारावास 7 साल से कम है वहां जांच एजेंसी सबूतों के अभाव में आरोपी को गिरफ्तार नहीं करने का फैसला कर सकती है. और होगा भी यही. ये है विश्व गुरु भारत के न्याय प्रणाली की कहानी. लेकिन मुझे गर्व है इन बहिनों पर जिन्होंने अन्याय के खिलाफ लड़ाई लड़ी. हार जीत का मामला दूसरा है.मुख्य चीज है ये बहन लड़ी तो. वर्तमान को तो दबाया जा सकता है लेकिन इतिहास कभी अन्याय नहीं करता. सच सामने आ ही जाता है.
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