टुकड़ों टुकड़ों में बटे अपने मन से देखूं तो विचार और भाव। धीरे धीरे उगता चांद। सुंदर और अद्भुत। उस विराटतम अद्भुत सौंदर्य की एक झलक।
The posts on this blog deal with common people who try to stand proud in front of their own conscience. The rest of the life's tale naturally follows from this point. It's intended to be a joy-maker, helping the reader to see the beauty underlying everyone and everything. Copyright © Sandeep Dahiya. All Rights Reserved for all posts on this blog. No part of this blog may be reproduced or transmitted in any form or by any means without permission in writing from the author of this blog.
About Me
- Sufi
- Hi, this is somebody who has taken the quieter by-lane to be happy. The hustle and bustle of the big, booming main street was too intimidating. Passing through the quieter by-lane I intend to reach a solitary path, laid out just for me, to reach my destiny, to be happy primarily, and enjoy the fruits of being happy. (www.sandeepdahiya.com)
Sunday, October 27, 2024
An evening
The remnants of an evening..
वो जा रही है धीरे धीरे, बार बार पीछे मुड़के अपनी गुलाबी मुस्कराहट की छटा बिखेरती। दूर किसी नए क्षितिज पर अपने यौवन की सुनहरी किरणे बिखेरकर ओस की बूंदों को चमकते मोतियों में बदलने के लिए। शायद जो कुछ यहां अधूरा रह गया उसको पूरा करने के लिए। कुछ अधूरे सपने पूरे करने के लिए। कुछ नीरस आंखों में रोशनी भरने के लिए। कुछ उदास होठों पे शहद जैसी मीठी मुस्कान लाने के लिए। जाओ। तुम्हे रोकने की ख्वाहिश करना जीवन के एक नए आयाम को बाधित करने जैसा होगा। एक मीठी और हल्की सी उदास मुस्कराहट के साथ अलविदा। अच्छे से जाना और खूब खिलना। इतना खिलना की उसकी चमक में आने और जाने की द्वंदात्मक पीड़ा का औचित्य ही ना रहे।