राजनीति प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से छल और बल का ही खेल होता है। सत्ता का संघर्ष, किसी भी प्रकार की राजनैतिक व्यस्था में, ईमानदारी के पैमानों से नहीं साधा जा सकता। सभी दल अपने अपने हिसाब से छल बल का इस्तेमाल करते हैं। छल और बल पे सब दलों का कॉपीराइट है, चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी। बीजेपी छल और बल को ज्यादा अच्छा मैनेज करती है। उसने इसको एक अलग ही आयाम पे पहुंचा दिया है। लगभग एक प्रकार की साइंस। बीजेपी छल बल की डॉक्टरेट है, और कांग्रेस बेचारी सिर्फ ग्रैजुएट है। बस यही फरक है दोनों में।
हरियाणा में की गई बेईमानी को J&K की ईमानदारी से ढक दिया। इसी तरह से महाराष्ट्र के बेईमानी के धब्बों को झारखंड के सफेद ईमानदार पेंट से ढकने का सफल प्रयोग किया गया। अब जबकि हरियाणा और महाराष्ट्र के परिणामों को लेकर EVM पर सवाल उठ रहें हैं तो एक बार फिर थोड़ा ईमानदारी का पेंट कर दिया जाएगा। दिल्ली का चुनाव ईमानदारी से होने के ज्यादा चांस है। वैसे भी वहां उपराज्यपाल के माध्यम से परोक्ष रूप से लगाम तो केन्द्र सरकार के हाथ में ही रहती है। दिल्ली सरकार के पास बहुत सीमित अधिकार हैं।
इसलिए अब दिल्ली हारो एक ईमानदार चुनाव में। इससे जम्मू कश्मीर और झारखंड के ईमानदार पेंट की कोटिंग के ऊपर एक और परत जम जाएगी क्योंकि हरियाणा और महाराष्ट्र में इतने बड़े खेल के सबूत हैं कि अब आगे कई परत ईमानदारी की चढ़ानी पड़ेगी छोटे चुनावों में। तब कहीं जाकर थोड़ा दब पाएगा मामला।
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